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भाग-१ 

वायु प्रदूषण क्या होता है? 

वायु प्रदूषण का अर्थ है वातावरण का दूषित होना (चाहे वह घर के अंदर हो या बाहर) जो कि वायु में हानिकारक रासायनिक, भौतिक या जैविक पदार्थों (प्रदूषकों) के उत्सर्जन के कारण होता है। यह प्रदूषण मानव स्वास्थ्य और अन्य जीवित प्राणियों के लिए एक गंभीर खतरा पैदा कर सकता है और पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र तथा मौसम के लिए हानिकारक होता है।

 

वायु प्रदूषण की तीव्रता कैसे नापी जाती है?

वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) एक ऐसा मापक है जिसका उपयोग वायु प्रदूषण की तीव्रता को नापने के लिए किया जाता है। एक्युआई हवा में मौजूद प्रदूषकों की मात्रा के आधार पर हवा की गुणवत्ता बताता है। भारत में एक्युआई में आमतौर पर निम्नलिखित प्रदूषकों को पाया गया है:

  1. कणीय पदार्थ (पीएम २.५) 
  2. कणीय पदार्थ (पीएम १०) 
  3. नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂) 
  4. सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) 
  5. कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) 
  6. सतही ओज़ोन (Ground Level Ozone) 
  7. अमोनिया (NH₃) 
  8. सीसा (Lead) 

 

वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) वायु की गुणवत्ता या वायु प्रदूषण की तीव्रता को छह श्रेणियों में विभाजित करता है: 

  1. अच्छा (एक्युआई - ० से ५०) - स्वास्थ्य पर न्यूनतम प्रभाव। 
  2. संतोषजनक (एक्युआई - ५१ से १००) - संवेदनशील व्यक्तियों में सांस की मामूली समस्या हो सकती है। 
  3. मध्यम (एक्युआई - १०१ से २००) - श्वसन मार्ग की बीमारी, हृदय रोग, बच्चों और बुजुर्गों को सांस लेने में असुविधा हो सकती है। 
  4. खराब (एक्युआई - २०१ से ३००) - लंबे समय तक संपर्क में रहने पर स्वस्थ लोगों को भी तकलीफ हो सकती है। 
  5. बहुत खराब (एक्युआई - ३०१ से ४००) - लंबे समय तक संपर्क में रहने से स्वस्थ लोगों में भी सांस की बीमारियां हो सकती हैं। 
  6. गंभीर (एक्युआई - ४०१ से ५००) - स्वस्थ व्यक्तियों में हल्की शारीरिक गतिविधि के दौरान भी तकलीफ महसूस हो सकती है।

 

 

वायु प्रदूषण के कारण क्या होते हैं??

हर गुजरते दिन के साथ शुद्ध और स्वच्छ हवा में सांस लेना कठिन और लगभग असंभव होता जा रहा है, क्योंकि वायु में प्रदूषकों की मात्रा और घनत्व लगातार बढ़ रहा है। वायु प्रदूषण से संबंधित बीमारियां, जो पर्यावरण के सबसे बड़े घातक कारकों में से एक हैं, दुनिया भर में हर साल 1.7 बिलियन से अधिक लोगों की जान लेती हैं। 

हवा में मौजूद प्रदूषक हमारी आंखों को दिखाई नहीं पडते; इसलिए, इन प्रदूषकों के बढ़ते स्तर का अहसास तब तक करना मुश्किल होता है जब तक कि यह एक गंभीर समस्या का रूप न ले ले।  वायु प्रदूषण के सामान्य स्रोतों को समझना ही इसकी गंभीरता को कम करने का एकमात्र उपाय है। 

 

वायु प्रदूषण के आम कारण/स्रोत हैं:  

  1. औद्योगिक उत्सर्जन – कारखानों से निकलने वाले जहरीले प्रदूषक जैसे सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और कणीय पदार्थ जैसे विषैले प्रदूषक वायु को दूषित करते हैं। 
  2. वाहनों से निकलने वाला धुआँ – कार, ट्रक, मोटरसाइकिल आदि से निकलने वाला ईंधन (पेट्रोल/डीजल) के जलने पर कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और
  3. हाइड्रोकार्बन हवा में फैलते हैं, जिससे वायु प्रदूषण होता है। 
  4. जीवाश्म ईंधन का जलना – ऊर्जा उत्पादन के लिए कोयला, तेल और गैस जलाने से हानिकारक रसायन/प्रदूषक उत्पन्न होते हैं, जो वायु प्रदूषण में प्रमुख योगदान देते हैं।। 
  5. कृषि गतिविधियां – खाद, कीटनाशकों का उपयोग और पशुधन से जुड़े मीथेन उत्सर्जन से वायु की गुणवत्ता खराब होती है।
    वनों की कटाई – पेड़ हवा में मौजुद कार्बन डाइऑक्साइड सोख लेते हैं। वनों की कटाई के कारण कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ता है, जिससे वायु प्रदूषण का खतरा बढ़ जाता है। 
  6. घरेलू प्रदूषण – घर में खाना पकाने और गरम करने के लिए ठोस ईंधन का उपयोग करने पर निकलने वाला धुआं, घर के अंदर और बाहर दोनों जगह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। 
  7. प्राकृतिक आपदाएं – जंगल की आग, ज्वालामुखी विस्फोट और धूल की आंधियां हवा की गुणवत्ता को गंभीर रूप से नुकसान पहुँचा सकती हैं। ये वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण हो सकता है।  
  8. फसल अवशेष जलाना, कूड़ा-कचरा खुले में जलाना – खुले में फसल अवशेष और कचरा जलाने से हानिकारक गैसें उत्पन्न होती हैं, जो तेजी से वायु गुणवत्ता को नुकसान पहुंचाती हैं और गंभीर वायु प्रदूषण का कारण बनती है। 
  9. इमारत आदि का निर्माण और उनकी तोड़फोड़ - निर्माण और तोड़फोड़ के दौरान बड़ी मात्रा में धूल और सूक्ष्म कण वायु में फैलते हैं, जो वायु की गुणवत्ता को खराब करने में योगदान देती है।

 

भारत में वायु प्रदूषण की स्थिति

भारत में वायु प्रदूषण की समस्या और गंभीरता काफी अधिक है। कई भारतीय शहरों में वायु की गुणवत्ता या AQI बहुत खराब या गंभीर है। वर्तमान में, कई भारतीय शहर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों के रूप में सबसे पहले स्थान पर हैं, जहाँ PM2.5 का स्तर अत्यधिक ऊंचा है, और जो प्रमुख स्वास्थ्य संबंधी मामलो में योगदान देता है। भारत की लगभग पूरी आबादी ऐसे क्षेत्रों में रहती, जहां वायु गुणवत्ता विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के वायु गुणवत्ता दिशानिर्देशों से अधिक हैं। भारत में अत्यधिक वायु प्रदूषण के कारण सांस संबंधी बीमारियां, त्वचा रोग जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ गया है और जीवन प्रत्याशा में भी कमी आई है।

 

वायु प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभाव क्या हैं?

वायु प्रदूषण के मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था पर कई हानिकारक प्रभाव पड़ते हैं। कुछ प्रमुख प्रभाव इस प्रकार हैं: 

1. स्वास्थ्य पर प्रभाव

  • श्वसन संबंधी बीमारी – कणीय प्रदूषक (PM2.5, PM10), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂), और सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) जैसे प्रदूषक, श्वसन संबंधी बीमारियों को जैसे दमा (अस्थमा), ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों की अन्य बीमारियों के होने की जोखीम को या पहले से मौजूद श्वसन संबंधी बीमारियों की जोखिम को बढ़ा सकती हैं या उन्हें और गंभीर बना सकती हैं।

  • हृदय रोग – वायु प्रदूषकों के दीर्घकालिक संपर्क में रहने से दिल क दौरे, स्ट्रोक और उच्च रक्तचाप का खतरा बढ़ सकता है। 

  • कैंसर – प्रदूषित हवा में मौजूद बेंजीन और पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (PAHs) जैसे वायुजनित कार्सिनोजेन्स फेफड़ों के कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं। 

  • नसों संबंधी विकार – सीसा (lead) और सूक्ष्म कण जैसे प्रदूषक संज्ञानात्मक कार्यों में गिरावट (बौद्धिक/मस्तिष्क गतिविधि), वयस्कों में अल्जाइमर रोग और बच्चों में विकास संबंधी विकारों का कारण बन सकते हैं। 

  • आंख, नाक और गले में जलन – धुंध (स्मॉग) और अन्य प्रदूषकों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से आंखों, नाक और गले में जलन, एलर्जी और साइनस संक्रमण हो सकता है। 

  • प्रतिरक्षा प्रणाली में कमी – वायुजनित प्रदूषकों/रसायनों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। 

  • जन्म दोष और गर्भावस्था की जटिलताएं – वायु प्रदूषण के कारण समय से पहले जन्म, कम वजन वाले बच्चे और शिशुओं में विकास संबंधी समस्याओं की घटनाओं में वृद्धि हो सकती है।

2. पर्यावरण पर प्रभाव

  • ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन –  अत्यधिक प्रदूषण के कारण ग्रीनहाउस गैसें (कार्बन डाइऑक्साइड-CO₂, मीथेन आदि) वातावरण में गर्मी का अटकाव करती हैं, जिससे वायुमंडलीय तापमान बढ़ता है (ग्लोबल वार्मिंग)। 

  • अम्लीय वर्षा (एसिड रेन) – वायु में अधिक मात्रा में सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड की मौजूदगी कभी-कभी अम्लीय वर्षा के खतरे को बढ़ा सकती है, जिससे मिट्टी, जल स्रोतों और इमारतों को नुकसान पहुंचता है। 

  • ओज़ोन परत की क्षति – क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs) जैसे प्रदूषक ओजोन परत को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे पराबैंगनी (UV) किरणों के संपर्क में आने का खतरा अत्यधिक बढ़ जाता है। 

  • वन्यजीवों को नुकसान – विषैले वायु प्रदूषक जानवरों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे जैव विविधता में कमी आती है और पारिस्थितिकी तंत्र को बाधित कर सकती है। 

  • मिट्टी और जल प्रदूषण – वायुजनित प्रदूषक जब मिट्टी और जल में जम जाते हैं तो वे कृषि और जलीय जीवन को नुकसान पहुंचा सकते हैं। 

 

3. आर्थिक प्रभाव

  • स्वास्थ्य देखभाल लागत – बीमारियों में वृद्धि के कारण व्यक्तियों और सरकारों के लिए चिकित्सा खर्च बढ़ जाता है।

  • उत्पादकता में कमी – प्रदूषण से होने वाली बीमारियां कार्यक्षमता को कम करती हैं और अनुपस्थिति बढ़ा देती हैं।

  • बुनियादी ढाँचे को नुकसान – अम्लीय वर्षा और प्रदूषकों के वजह से इमारतों, स्मारकों और वाहनों को नष्ट कर सकते है।

  • कृषि संबंधी नुकसान – प्रदूषित हवा फसल की उपज और मिट्टी के उपजाऊपन को प्रभावित करती है, जिससे खाद्यान्न की कमी और आर्थिक नुकसान होता है।

4. मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रभाव

  • मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ – प्रदूषकों के दीर्घकालिक संपर्क में रहने से तनाव, चिंता और अवसाद (Depression) जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है।

  • जीवन की गुणवत्ता में कमी – वायु की खराब गुणवत्ता हमारी बाहरी गतिविधियों को सीमित कर देती है, जीवन-प्रत्याशा को कम करती है और और कुल मिलाकर जीवन की गुणवत्ता को कम करती है।

 

 

 

  1. https://en.wikipedia.org/wiki/Air_pollution
  2. https://www.nrdc.org/stories/air-pollution-everything-you-need-know
  3. https://www.who.int/health-topics/air-pollution#tab=tab_1
  4. https://pib.gov.in/newsite/printrelease.aspx?relid=110654
  5. https://safar.tropmet.res.in/AQI-47-12-Details
  6. https://www.airnow.gov/aqi/aqi-basics/
  7. https://www.aqi.in/blog/en-in/10-main-causes-of-air-pollution/
  8. https://www.nrdc.org/bio/vijay-limaye/indias-air-pollution-challenge-spans-rural-and-urban-areas#:~:text=Air Pollution Knows No Boundaries&text=Last year's annual PM2.5,of 5 µg/m3:
  9. https://www.indiascienceandtechnology.gov.in/listingpage/air-pollution-india-status-and-challenges#:~:text=In a study that appeared,is attributable to air pollution.

 

       

 


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