Wed Aug 13 2025
वायु प्रदूषण क्या होता है?
वायु प्रदूषण का अर्थ है वातावरण का दूषित होना (चाहे वह घर के अंदर हो या बाहर) जो कि वायु में हानिकारक रासायनिक, भौतिक या जैविक पदार्थों (प्रदूषकों) के उत्सर्जन के कारण होता है। यह प्रदूषण मानव स्वास्थ्य और अन्य जीवित प्राणियों के लिए एक गंभीर खतरा पैदा कर सकता है और पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र तथा मौसम के लिए हानिकारक होता है।
वायु प्रदूषण की तीव्रता कैसे नापी जाती है?
वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) एक ऐसा मापक है जिसका उपयोग वायु प्रदूषण की तीव्रता को नापने के लिए किया जाता है। एक्युआई हवा में मौजूद प्रदूषकों की मात्रा के आधार पर हवा की गुणवत्ता बताता है। भारत में एक्युआई में आमतौर पर निम्नलिखित प्रदूषकों को पाया गया है:
वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) वायु की गुणवत्ता या वायु प्रदूषण की तीव्रता को छह श्रेणियों में विभाजित करता है:
वायु प्रदूषण के कारण क्या होते हैं??
हर गुजरते दिन के साथ शुद्ध और स्वच्छ हवा में सांस लेना कठिन और लगभग असंभव होता जा रहा है, क्योंकि वायु में प्रदूषकों की मात्रा और घनत्व लगातार बढ़ रहा है। वायु प्रदूषण से संबंधित बीमारियां, जो पर्यावरण के सबसे बड़े घातक कारकों में से एक हैं, दुनिया भर में हर साल 1.7 बिलियन से अधिक लोगों की जान लेती हैं।
हवा में मौजूद प्रदूषक हमारी आंखों को दिखाई नहीं पडते; इसलिए, इन प्रदूषकों के बढ़ते स्तर का अहसास तब तक करना मुश्किल होता है जब तक कि यह एक गंभीर समस्या का रूप न ले ले। वायु प्रदूषण के सामान्य स्रोतों को समझना ही इसकी गंभीरता को कम करने का एकमात्र उपाय है।
वायु प्रदूषण के आम कारण/स्रोत हैं:
भारत में वायु प्रदूषण की स्थिति
भारत में वायु प्रदूषण की समस्या और गंभीरता काफी अधिक है। कई भारतीय शहरों में वायु की गुणवत्ता या AQI बहुत खराब या गंभीर है। वर्तमान में, कई भारतीय शहर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों के रूप में सबसे पहले स्थान पर हैं, जहाँ PM2.5 का स्तर अत्यधिक ऊंचा है, और जो प्रमुख स्वास्थ्य संबंधी मामलो में योगदान देता है। भारत की लगभग पूरी आबादी ऐसे क्षेत्रों में रहती, जहां वायु गुणवत्ता विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के वायु गुणवत्ता दिशानिर्देशों से अधिक हैं। भारत में अत्यधिक वायु प्रदूषण के कारण सांस संबंधी बीमारियां, त्वचा रोग जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ गया है और जीवन प्रत्याशा में भी कमी आई है।
वायु प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभाव क्या हैं?
वायु प्रदूषण के मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था पर कई हानिकारक प्रभाव पड़ते हैं। कुछ प्रमुख प्रभाव इस प्रकार हैं:
1. स्वास्थ्य पर प्रभाव
श्वसन संबंधी बीमारी – कणीय प्रदूषक (PM2.5, PM10), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂), और सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) जैसे प्रदूषक, श्वसन संबंधी बीमारियों को जैसे दमा (अस्थमा), ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों की अन्य बीमारियों के होने की जोखीम को या पहले से मौजूद श्वसन संबंधी बीमारियों की जोखिम को बढ़ा सकती हैं या उन्हें और गंभीर बना सकती हैं।
हृदय रोग – वायु प्रदूषकों के दीर्घकालिक संपर्क में रहने से दिल क दौरे, स्ट्रोक और उच्च रक्तचाप का खतरा बढ़ सकता है।
कैंसर – प्रदूषित हवा में मौजूद बेंजीन और पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (PAHs) जैसे वायुजनित कार्सिनोजेन्स फेफड़ों के कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
नसों संबंधी विकार – सीसा (lead) और सूक्ष्म कण जैसे प्रदूषक संज्ञानात्मक कार्यों में गिरावट (बौद्धिक/मस्तिष्क गतिविधि), वयस्कों में अल्जाइमर रोग और बच्चों में विकास संबंधी विकारों का कारण बन सकते हैं।
आंख, नाक और गले में जलन – धुंध (स्मॉग) और अन्य प्रदूषकों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से आंखों, नाक और गले में जलन, एलर्जी और साइनस संक्रमण हो सकता है।
प्रतिरक्षा प्रणाली में कमी – वायुजनित प्रदूषकों/रसायनों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
जन्म दोष और गर्भावस्था की जटिलताएं – वायु प्रदूषण के कारण समय से पहले जन्म, कम वजन वाले बच्चे और शिशुओं में विकास संबंधी समस्याओं की घटनाओं में वृद्धि हो सकती है।
2. पर्यावरण पर प्रभाव
ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन – अत्यधिक प्रदूषण के कारण ग्रीनहाउस गैसें (कार्बन डाइऑक्साइड-CO₂, मीथेन आदि) वातावरण में गर्मी का अटकाव करती हैं, जिससे वायुमंडलीय तापमान बढ़ता है (ग्लोबल वार्मिंग)।
अम्लीय वर्षा (एसिड रेन) – वायु में अधिक मात्रा में सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड की मौजूदगी कभी-कभी अम्लीय वर्षा के खतरे को बढ़ा सकती है, जिससे मिट्टी, जल स्रोतों और इमारतों को नुकसान पहुंचता है।
ओज़ोन परत की क्षति – क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs) जैसे प्रदूषक ओजोन परत को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे पराबैंगनी (UV) किरणों के संपर्क में आने का खतरा अत्यधिक बढ़ जाता है।
वन्यजीवों को नुकसान – विषैले वायु प्रदूषक जानवरों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे जैव विविधता में कमी आती है और पारिस्थितिकी तंत्र को बाधित कर सकती है।
मिट्टी और जल प्रदूषण – वायुजनित प्रदूषक जब मिट्टी और जल में जम जाते हैं तो वे कृषि और जलीय जीवन को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
3. आर्थिक प्रभाव
स्वास्थ्य देखभाल लागत – बीमारियों में वृद्धि के कारण व्यक्तियों और सरकारों के लिए चिकित्सा खर्च बढ़ जाता है।
उत्पादकता में कमी – प्रदूषण से होने वाली बीमारियां कार्यक्षमता को कम करती हैं और अनुपस्थिति बढ़ा देती हैं।
बुनियादी ढाँचे को नुकसान – अम्लीय वर्षा और प्रदूषकों के वजह से इमारतों, स्मारकों और वाहनों को नष्ट कर सकते है।
कृषि संबंधी नुकसान – प्रदूषित हवा फसल की उपज और मिट्टी के उपजाऊपन को प्रभावित करती है, जिससे खाद्यान्न की कमी और आर्थिक नुकसान होता है।
4. मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रभाव
मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ – प्रदूषकों के दीर्घकालिक संपर्क में रहने से तनाव, चिंता और अवसाद (Depression) जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है।
जीवन की गुणवत्ता में कमी – वायु की खराब गुणवत्ता हमारी बाहरी गतिविधियों को सीमित कर देती है, जीवन-प्रत्याशा को कम करती है और और कुल मिलाकर जीवन की गुणवत्ता को कम करती है।