Tue Jun 01 2021
शर्करा, शक्कर अर्थात जिसे हम रासायनिक स्वरूप में ‘सुक्रोज’ कहते हैं, वह ग्लुकोज एवं फ्रुक्टोज, इन दो घटकों से बनी है।
हम जिस शक्कर का सेवन करते हैं, उसका हमारे पेट में सुक्रोज एवं फ्रुक्टोज के रूप में विभाजन होता है|
‘ग्लुकोज’ एक उत्तम प्रकार का कार्बोहाइड्रेट है, जिसका उपयोग हमारे शरीर के विविध प्रक्रियाओं में ऊर्जा निर्माण करने के लिए किया जाता है। हम जिस ग्लुकोज का सेवन करते हैं, वह शरीर के अधिकांश मांसपेशियों द्वारा उपयोग में लाया जाता है और उसमें से केवल एक छोटासा हिस्सा यकृत में जमा किया जाता है।
हमने अब तक आम तौर पर ग्लुकोज के चयपचय के बारे में देखा और जाना है। हम यह जानते हैं कि ग्लुकोज हमारे संपूर्ण शरीर की कोशिकाओं के लिए ऊर्जा का प्रमुख स्त्रोत है। फिर भी हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ग्लुकोज का सेवन उचित प्रमाण में करना ही हमारे लिए हितकारी है। ग्लुकोज का प्रमान से अधिक सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
सुक्रोज का प्रमाण से अधिक सेवन का परिणाम इन्सुलिन के रिसाव बढ़ाने में और इन्सुलिन के कार्य में प्रतिरोध करने में होता है जिसकी वजह से शरीर को हानी पहुँचने का धोखा बढ़ जाता है।
हम जानते ही हैं कि, सुक्रोजयुक्त आहार के सेवन के पश्चात खून में इन्सुलिन के स्तर में वृद्धि होती है। जब सुक्रोज का सेवन प्रमाण में ही किया जाता है, तब खून में इन्सुलिन का स्तर भी योग्य प्रमाण में ही मर्यादित रहता है, परन्तु सुक्रोज का यदि प्रमाण से अधिक सेवन किया जाए तो खून में इन्सुलिन का भी प्रमाण से अधिक रिसाव होता है और इसे हायपरइन्सुलिनेमीया (इन्सुलिन का प्रमाण से अधिक रिसाव) कहते हैं।
इन्सुलिन का प्रमाण से अधिक रिसाव एवं उसके कारण इन्सुलिन के कार्य को होनेवाला प्रतिरोध (इन्सुलिन रेसिस्टन्स) का
शरीर पर होनेवाला दुष्प्रभाव :
१) डायबिटीस मेलिटस: इन्सुलिन के कार्य को होनेवाले प्रतिरोध के कारण खून में मौजूद ग्लुकोज के स्तर में अधिकाधिक प्रमाण में वृद्धि होती रहती है जिसका परिणाम डायबिटीस मेलिटस का विकार उत्पन होने में होता है।
२) मोटापा: खून में बढ़नेवाले इन्सुलिन का स्तर शरीर में मौजूद चर्बी का प्रमाण बढ़ाने का कारण बनता है जिसकी वजह से मोटापे का धोखा निर्माण होता है।
३) महिलाओं के अंडाशय में पानी से भरी हुई थैलियाँ बनना (पॉलिसिस्टिक ओवरीज)।
४) खून में वीएलडीएल (हानिकारक) चर्बी की (कोलेस्ट्रॉल) मात्रा में वृद्धी होना: खून में सामान्य से अधिक इन्सुलिन का स्तर खून में मौजूद वीएलडीएल कोलेस्ट्रॉल (हानिकारक चरबी) की मात्रा बढ़ाने के लिए ज़िम्मेदार होता है। इसकी वजह से हृदय एवं मस्तिष्क को खून पहूंचानेवाली धमनियों में बाधा निर्माण होती है और इससे दिल का दौरा अथवा स्ट्रोक/पैरालिसिस की संभावना निर्माण होती है।
५) उच्च रक्तदाब (हायपरटेंशन)
६) यकृत में चर्बी जमा होना (फैटी लिवर): यकृत में अधिक प्रमाण में चर्बी का जमा होना यकृत के लिए और हमारे सवास्थ्य की दृष्टि से धोखादायक हो सकता है क्योंकि इससे यकृत का कार्य मंद पडने का या बंद होने का धोखा निर्माण हो सकता है।
फ्रुक्टोज, हमारे शरीर के लिए हानिकारक कार्बोहैड्रेट है क्योंकि, यह हमारे शरीर में ऊर्जा निर्माण करने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। हम जो फ्रुक्टोज का सेवन करते हैं, वह यकृत तक पहुँचता है और इसका परिवर्तन चर्बी में होता है, जो यकृत में एवं शरीर की अन्य चर्बी की कोशिकाओं में जमा किया जाता है। इसी कारण मोटापा होता है। इस प्रक्रिया के दौरान, परिणामस्वरूप, युरिक ऐसिड एवं वीएलडीएल कोलेस्ट्रॉल (खून में मौजूद खराब चर्बी) ये पदार्थ भी बनते हैं।
फ्रुक्टोज युक्त आहार के सेवन करने से क्या दुष्प्रभाव होते हैं?
१) वजन बढ़ना (मोटापा) २) उच्च रक्तदाब (हायपरटेन्शन) ३) खून में चर्बी का स्तर बढ़ना (डिस्लीपिडेमिया) ४) मधुमेह ५) इन्सुलिन का प्रतिरोध होना ६) युरिक ऐसिड के स्तर में वृद्धि (गाउट - गठिया) ७) यकृत (लिवर) की हानी ८) खाने की आसक्ति ९) हार्मोन (आंतरिक रस) का असंतुलन निर्माण होना (इन्सुलिन और घ्रेलिन में असंतुलन निर्माण होना [toggles title="फ्रुक्टोज युक्त आहार के सेवन करने से क्या दुष्प्रभाव होते हैं"]फ्रुक्टोज का आम स्त्रोत क्या है?
१) फल एवं सब्ज़ियां : सुरक्षित फ्रुक्टोज को ‘फलों की शक्कर’ के नाम से भी जाना जाता है। यह लगभग सभी फलों में पाया जाता है। मगर यहाँ पर ध्यान देने योग्य सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि, फ्रुक्टोज समेत फलों में काफी बडी मात्रा में फाइबर (तंतु) भी होते हैं। ये फाइबर खून में फ्रुक्टोज को शोषण करने नहीं देते इसलिए फलों में पाए जानेवाले फ्रुक्टोज से नुकसान नहीं होता।
२) शीतल पेय
३) फलों का रस
४) ऊर्जा पेय (एनर्जी ड्रिंक)
५) संसाधित खाद्य (प्रोसेस्ड फुड)
६) झटपट बनाये गए पदार्थ (इन्स्टंट फुड)
७) मैपल सिरप
८) आलू चिप्स
९) चॉकलेट
१०) केक
११) च्यूइंग गम