Mon Sep 06 2021
मोटापे के कारण बननेवाले घटक हैं -
ओबिसोजेन्स, जिन्हें एंडोक्राइन डिस्ट्रिपेटिंग केमिकल्स (अंतरस्त्राव में दरार डालनेवाले रसायन) भी कहा जाता है, ऐसे उत्पादन / रसायन होते हैं, जो शरीर के हॉर्मोन्स में अवरोध उत्पन्न करने एवं वजन बढ़ाने, मोटापे के कारण बनते हैं। जब ये रसायन मानवी शरीर में प्रवेश करते हैं तब वे इन ग्रस्त व्यक्तियों के हॉर्मोन्स के स्तर में उल्लेखनीय बदलाव लाते हैं, जिसके कारण मोटापा एवं अन्य कई बीमारियां होती हैं। हम हररोज़ इन उत्पादनों के एवं उनके प्रभावों के संपर्क में आते रहते हैं। हमें प्रभावित करनेवाले कुछ आम तौर पर पाए जानेवाले ओबिसोजेन्स निम्नानुसार हैं -
१) एस्ट्रोजेन्स
एस्ट्रोजेन्स एवं प्रोजेस्टेरॉन्स महिलाओं के लैंगिक हॉर्मोन्स (फीमेल सेक्स हॉर्मोन्स) के रूप में जाने जाते हैं। ये ऐसे संकेत सूचक रसायन हैं जो किसी भी प्रजाति के नर एवं मादा में भिन्नता दर्शाने का कार्य करते हैं। एस्ट्रोजेन का स्तर हमेशा शरीर द्वारा नियंत्रित किए जाते हैं। नर एवं मादाओं में जब एस्ट्रोजेन के स्तर में असामान्य वृद्धि होती है, तब इसके कई दुष्प्रभाव होते हैं। आजकल उपलब्ध खाने की चीज़ों में कृत्रिम / संकरित क्रियाद्वारा निर्माण किए जानेवाले एस्ट्रोजेन्स दिखाई देते हैं। शरीर में प्रवेश करने पर ये रसायन हमारे शरीर में पाए जानेवाले एस्ट्रोजेन्स जैसे ही प्रभाव उत्पन्न करते हैं।
एस्ट्रोजेन के बढ़ते सेवन से निर्माण होनेवाले धोखे : १) मोटापा २) हाय ब्लडप्रेशर (हायपरटेन्शन) ३) मधुमेह ४) स्तनों का कैंसर (ब्रेस्ट कैंसर) ५) पॉलीसिस्टिक ओवरीज (अनेक परतों वाला अंडाशय) ६) शुक्राणुओं की कम संख्या ७) अंडाशयी कैंसर
२) बिस्फेनॉल-ए (बीपीए)
बिस्फेनॉल-ए (बीपीए) एस्ट्रोजेन का एक सिंथेटिक स्वरूप है। बीपीए एक ऐसा रसायन है जो ४० वर्षों से अधिक समय से मजबूत प्लास्टिक एवं खान-पान के पदार्थों के डिब्बों में कोटिंग के रूप में इस्तेमाल किया गया है। हम में से ९०% से अधिक लोगों के शरीर में अब भी बीपीए मौजूद है।
बीपीए प्लास्टिक के कंटेनर में रखा हुआ खाना एवं गरम तरल पदार्थों में आसानी से पिघलता है। बीपीए हमारे शरीर में, बीपीए से बने कंटेनर में भरे गए अथवा पैक किए गए पदार्थ के सेवन से प्रवेश करता है। बिलकुल कम मात्रा का बीपीए भी हमारे शरीर को हानि पहुँचाने के लिए काफी होता है।कुछ सामान्य तौर पर इस्तेमाल की गई चीज़ों का बीपीए कैसे एक हिस्सा है, य़ह हमें नीचे दी गई आकृति दर्शाती है। इसी तरह हम इसके अलावा कुछ सुरक्षित विकल्प भी देख सकते हैं :
४) डी.डी.टी.
डी.डी.टी. एक आम तौर पर इस्तेमाल किया जानेवाला कीटनाशक है। यह विश्वभर में वनस्पति एवं फसलों पर छिडका जाता है। इसका छिडकाव जरुरतनुसार ही किया जाना चाहिए। अतिरिक्त मात्रा में डी.डी.टी. का छिडकाव किए जाने से उस खेत की खरीदी गई सब्ज़ियों और फलों पर यह चिपका होता है। डी.डी.टी. भी कृत्रिम प्रकार का एस्ट्रोजेन ही है, और इसी लिए हम जब यह फल एवं सब्ज़ियां खाते हैं, तब हमारे पेट में इसका प्रवेश नहीं होने देना चाहिए।
५) पानी में एवं मछलियों में पाया जानेवाला पारा :
पानी में एवं मछलियों में पाए जानेवाले पारों का परिणाम खाने में पाए जानेवाले एस्ट्रोजेन के परिणामों के समान ही होते हैं। पारे का प्रमाण दूषित पानी में अधिक है और इसी लिए ऐसे पानी में रहनेवाली मछलियों में भी पारा काफी बड़े पैमाने पर पाया जाता है। हम जब ऐसी मछलियों का सेवन करते हैं, तब हम भी अधिक प्रमाण में पारा अपने शरीर में लेते रहते हैं।