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अब हम ’दीर्घकालीन डिहाइड्रेशन के परिणाम’ के विषय पर चर्चा करेंगे

१) एकाग्रता, स्मरणशक्ति और सावधानता में कमी होना : हमारे दिमाग का ७५% भाग पानी और अन्य द्रव पदार्थों से बना हुआ है। अपर्याप्त पानी पीने के कारण दिमाग की कोशिकाओं का डिहाइड्रेशन हो सकता है, जिसके कारण दिमाग की कार्यक्षमता घट जाती है। इसी लिए स्मरणशक्ति, सावधानता और मानसिक एकाग्रता का स्तर घट जाता है।

२) शारीरिक थकान : खून के अलावा, अधिकतर पानी हमारी कोशिकाओं में जमा किया जाता है। इन कोशिकाओं को पर्याप्त पानी ने मिलने के कारण वे कमजोर हो सकती हैं, और इसकी वजह से उनकी कार्यक्षमता कम हो जाती है, इसकी वजह से जल्दी थकान हो सकती है।

३) कोष्टबद्धता (कब्ज): बड़ी आंत में पानी, मल निर्मित करने में और हलचल में मदद करता है। शरीर में पर्याप्त पानी न होने की वजह से, बड़ी आंत पानी बचाने की कोशिश करती है। बड़ी आंत में प्रयाप्त पानी न होने की वजह से मल के हलचल में बाधा निर्माण होती है और मल सख्त हो जाता है। इन दो कारणों से कोष्टबद्धता होती है।

४) कोलेस्ट्रोल की मात्रा में बढ़ोतरी: कोलेस्ट्रोल का एक महत्वपूर्ण कार्य है छोटी धमनियों की दीवारों के दोष दूर करने के लिए ’जोडनेवाले पदार्थ’ के रूप में कार्य करना। शरीर, सदोष धमनियों की दीवारों से द्रव पदार्थों को बाहर निकलने से प्रतिबंध करके, उपलब्ध पानी की सुरक्षा की कोशिश करता है। इसलिए शरीर अधिक कोलेस्ट्रोल बनाने लगता है।

५) पाचन समस्याएं: अ) अपर्याप्त पानी पाचन रस और एन्जाइम्स का उत्पादन कम कर देता है जिसकी वजह से बदहजमी होती है। ब) शरीर में श्लेम निर्मित होने के लिए भी पानी की जरुरत होती है जो कि पाचन मार्ग का अस्तर होता है। यह अस्तर पाचनरस एवं अम्ल के कारण होनेवाली घिसाई से पाचन मार्ग की रक्षा करता है। श्लेम की कमी के कारण जलन, अम्लता या पेट का अल्सर होने की संभावना बढ़ती है।

६) पानी कम पीने से अपायकारक 'गट बैक्टीरियां' का निर्माण होने लगता है, जो हमारे लिए हानिकारक होता है।

७) उच्च रक्तचाप: रक्ताचाप धमनियों से बहनेवाले खून की गति पर और धमनियों के व्यास पर या धमनियों के आयाम पर निर्धारित होता है। अपर्याप्त पानी पीने से दो चीजें होती हैं; जो रक्तचाप बढ़ने का कारण होती हैं।

१) खून में ९०% पानी है, अपर्याप्त पानी खून को गाढ़ा करके उसकी गति धीमी कर देता है जिसकी वजह से हृदय बडी ताकत से खून को शरीर में धकेलता है ताकि वह नियोजित अवयव तक पहुंचे।

२) अपर्याप्त पानी की उपलब्धता के कारण दिमाग, गुरदों को रसायनिक हार्मोन के माध्यम से कम मात्रा में मूत्र बनाने के संकेत भेजता है। इसी तरह, दिमाग, धमनियों का व्यास भी सकुंचित करता है ताकि उनमें से बहनेवाले खून का दबाव बढ़े।

८) ऐलर्जी: हिस्टैमिन नाम का एक रसायन शरीर में तैयार होता है जो शरीर में पानी का पुनर्वितरण करने के लिए जिम्मेदार होता है। इसके अलावा वह शरीर में एलर्जीजन्य प्रतिक्रिया भी उत्पन्न करता है। दीर्घकालीन डिहाइड्रेशन के दौरान, शरीर में पानी का पुनर्वितरण और उपलब्ध पानी के भंडार का जतन करने के लिए शरीर अधिकाधिक मात्रा में हिस्टैमिन तैयार करता है, मगर इसकी वजह से ऐलर्जी अधिक बढ़ने की संभावना निर्माण होती है।

९) वजन बढ़ना: शरीर में पानी की पर्याप्त मात्रा न होने की वजह से कोशिकाओं से ऊर्जा कम हो जाती है जो दिमाग को संकेत भेजती है। परंतु दिमाग इस संकेत को 'भूख लगने का संकेत' मानता है और इस भूख के शमन के लिए मानव अधिक खाने लगता है। अधिक प्रमाण में कैलरीज के सेवन की वजह से वजन बढ़ता है।

१०) त्वचा की समस्याएं: शरीर, त्वचा द्वारा पसीने के स्वरूप में संचित विषैले तत्व निकाल देता है। अपर्याप्त पानी पीने की वजह से पसीने की मात्रा कम होती है और त्वचा को शुष्क करती है। इसकी वजह से विषैले तत्व त्वचा पर से धोए जाने के बजाय वे त्वचा को चिपके रहते हैं और त्वचा की ऐलर्जी और संक्रमण के कारण बनते हैं।

११) पथरी होना: जब शरीर डिहाइड्रेटेड रहता है तब गुर्दे मूत्र को घन/गाढा करके उपलब्ध पानी की सुरक्षा की कोशिश करते हैं। इसी तरह, पानी की कमी मूत्र का मूत्रमार्ग धोने की क्रिया मंद कर देती है, जो पथरी बनने का कारण बनता है। उदा: मूत्र में कैल्शियम और विषैले पदार्थों का कचरा मूत्रमार्ग में ही रहता है और पथरी बन जाती है।

१२) मूत्रमार्ग में संसर्ग: दीर्घकालीन डिहाइड्रेशन के कारण गुर्दों में विषैले पदार्थ प्रभावीरूप से बाहर निकाल फेंकने के लिए पानी कम मात्रा में उपलब्ध होता है। यह विषैले और हानिकारक पदार्थ मूत्र में जमा होने लगते हैं। संसर्ग करनेवाले सूक्ष्म जंतुओं की वृद्धि के लिए यह एक आदर्श वातावरण होता है। यह सूक्ष्म जंतु मूत्रमार्ग में ही चिपके रहते हैं और वहीं पर बढ़ते हैं, जिसकी वजह से मूत्र मार्ग में संसर्ग निर्माण होता है।

१३) सांधे: सांधों के बीच का स्निग्धक (ग्रीज) निरोगी एवं मजबूत रहने के लिए पानी की आवश्यकता होती है। दीर्घकालीन डिहाइड्रेशन के कारण पर्याप्त पानी न मिलने की वजह से जोड़ों के बीच घर्षण एवं घिस होती है, और जोड़ों की हलचल दर्दनाक हो जाती है।

१४) पीठ दर्द: रीढ़ की हड्डियों में जो खपची होती है वह रीढ़ की हड्डियों में गद्दी का काम करती है। यह आघात शोषक का भी काम करती हैं। इसमें गीलेपन के लिए पानी की आवश्यकता होती है। पर्याप्त पानी न मिलने के कारण यह इंटरवर्टेब्रल डिस्क अकुंचित होता है, इसके लिए उसका आघात शोषक प्रभाव कम हो जाता है, और रीढ़ के बीच में घर्षण बढ़ता है। इसकी वजह से इस डिस्क्स को अधिक हानि पहुंचती है और पीठ दर्द होने लगता है।

१५) श्वसन की समस्याएं: श्वसन मार्ग में आर्द्रता व गीलापन रखने के लिए पानी की आवश्यकता होती है। अपर्याप्त पानी पीने के कारण श्वसन मार्ग का गीलापन कम हो जाता है और इसके परिणाम स्वरूप श्वसन मार्ग में संसर्ग एवं विषैले पदार्थों के कारण नुकसान होने से हानि पहुंचती है।

१६) बाल झड़ना: बालों की जड़ों के लिए पानी ऊर्जा एवं पोषकता का मुख्य स्रोत होता है। बालों में २५% पानी होता है। पानी की कमी के कारण बाल झड़ते हैं एवं जल्द ही गंजापन आता है।

१७) दुख और दर्द: पर्याप्त पानी की कमी के कारण शरीर में विषैले द्रव पदार्थों को प्रभावीरूप से बाहर नहीं फेंका जा सकता। यह विषैले द्रव शरीर में जमा हो जाते हैं और संपूर्ण शरीर में दुख और दर्द के निर्माण के लिए ज़िम्मेदार होते हैं।

     

दीर्घकालीन डिहाइड्रेशन टालने के लिए क्या किया जाए?

मुख द्वारा योग्य प्रमाण में द्रव पदार्थों का सेवन करने के लिए संबंधित नए मार्गदर्शक तत्व:

नए जारी किए गए मार्गदर्शक तत्वानुसार मौखिक द्रव पदार्थों के प्रमाण निम्नानुसार हैं:

आसीन काम करनेवाले व्यक्ति को २,००० मिली से २५०० मिली (२ लीटर से २.५ लीटर) प्रतिदिन, इस तरह से द्रव पदार्थों का मुख से सेवन करना चाहिए। पुराने मार्गदर्शक तत्वानुसार मुख द्वारा सेवन करने वाले द्रवपदार्थों का प्रमाण ३००० मिली से ३७०० मिली (३ लीटर से ३.७ लीटर) प्रतिदिन था। (राष्ट्रीय वैद्यकशास्त्र दिशानिर्देश अकादमी) संशोधित आवृत्ति यह भी स्पष्ट करती है कि, भारी-भरकम काम करने वाले व्यक्तियों को अधिक द्रवपदार्थों का सेवन करना चाहिए।

खुद के लिए योग्य प्रमाण में द्रव पदार्थों का सेवन करने के लिए एक ही दिशानिर्देश है, और वह है:

हमारी प्यास ही हमें उचित प्रमाण में द्रव पदार्थों के सेवन के लिए मार्गदर्शन करती है।

हमारी रोजमर्रा की जीवनशैली में कुछ बदलाव लाकर दीर्घकालीन डिहाइड्रेशन को रोकना बहुत ही आसान है।

१) दिनभर में २ से २.५ लिटर द्रवपदार्थों का सेवन करने का प्रयास करें। इसमें पानी, चाय, कॉफी, छाछ और अन्य द्रव पदार्थ शामिल हैं। हमें ३.७ लीटर से ज्यादा द्रव पदार्थों का सेवन नहीं करना है क्योंकि, इससे हमारे गुर्दों पर अधिक भार पड़ सकता है।

२) अपने आहार में नित्यरूप से फल और सब्जियों का समावेश करें। फल और सब्जियों में अन्य पदार्थों के मुकाबले में ज्यादा द्रव पदार्थ होते हैं और हमें अच्छी तरह से हाइड्रेट करने में सहायता करते हैं।

अ) पानी की अधिक मात्रा वाले फल :

१) तरबूज २) अनन्नास ३) क्रैमबेरी ४) स्ट्रॉबेरी ५) सेब ६) संतरा ७) अंगूर आदि

ब) पानी की अधिक मात्रा वाली सब्जियां :

१) पत्ता गोभी २) फूलगोभी ३) बैंगन ४) टमाटर ५) सेलेरी ६) ककड़ी/खीरा ७) गाजर ८) मूली ९) ब्रोकोली

३) शक्करयुक्त पेय, ठंडे पेय और अन्य कार्बोनेटेड पेय टालें। हमें जो द्रव पदार्थों की प्यास लगती है वह सादे पेय जल से बुझाई जा सकती है। जब भी प्यास लगती है, तब शक्करयुक्त और कार्बोनेटेड पेय के बजाए केवल सादा जल ही पीना।

४) अतिरिक्त प्रमाण में कॉफी का सेवन न करें। कॉफी में जो कैफीन होता है वह डाययुरेटिक है (जो पिशाब का प्रमाण बढ़ाता है)। इसलिए ज्यादा प्रमाण में कॉफी ना पीने से हमारे शरीर से ज्यादा पानी बाहर नहीं फेंका जाता।

५) शरीर में द्रव पदार्थों का प्रमाण बरकरार रखने के लिए व्यायाम करने से पहले और व्यायाम के बाद पर्याप्त मात्रा में पानी पीना।