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गिलियन- बाह-रे सिंड्रोम (जिसका उच्चरण ’गी-यान-बाह-रे सिंड्रोम’ किया जाता है) शरीर के नसों का एक असामान्य विकार है। महाराष्ट्र में, खासकर पुणे, पिंपरी चिंचवड़ और आसपास के गांवों में, इस विकार के मामलों में अचानक हुई वृद्धि के कारण एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बन गया है। इस तरह के मामले महाराष्ट्र के कुछ अन्य शहर जैसे नागपुर, सोलापुर, आदि में भी दर्ज हुए हैं।

महाराष्ट्र में ‘गी-यान-बाह-रे सिंड्रोम’ का पहला मामला ९ जनवरी २०२५ को पुणे में दर्ज किया गया था। वर्तमान में, जी.बी.एस. सिंड्रोम के १६६ मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से ६१ मरीजों को आई.सी.यू. में उपचार की आवश्यकता है और २१ मरीजों को वेंटिलेटर सहायता की जरुरत पड़ रही है। दुर्भाग्यवश, अब तक पांच लोगों की मौत हो चुकी है। अब तक ५२ मरीजों को सफलतापूर्वक इलाज कर अस्पताल से रिहा किया जा चुका है।

इस लेख में, हम ‘गी-यान-बाह-रे सिंड्रोम’ के बारे में जानकारी प्रदान कर रहें हैं जिससे इसके प्रति जागरूकता निर्माण की जा सके।

यह लेख निम्नलिखित बातें स्पष्ट करेगा:

  • ‘गी-यान-बाह-रे सिंड्रोम’ (बिमारी के अनेक लक्षणों का समावेश) क्या है? क्या यह संक्रामक (फैलनेवाला) रोग है या असंक्रामक है?
  • यह विकसित कैसे होता है?
  • इसके लक्षण और संकेत क्या हैं?
  • हम इसे शुरुआत में ही कैसे पहचान सकते हैं, और इससे पीड़ित लोगों के लिए वर्तमान में कौनसी उपचार पद्धति उपलब्ध है?
  • जी.बी.एस. के लिए प्रतिबंध के क्या उपाय हैं?

‘गी-यान-बाह-रे सिंड्रोम’ क्या है? क्या यह संक्रामक है?

  • ‘गी-यान-बाह-रे सिंड्रोम’ (जी.बी.एस.) - जिसका उच्चरण ’गी-यान-बाह-रे सिंड्रोम’ किया जाता है, यह संक्रामक या सांसर्गिक रोग नहीं है।
  • यह एक नसों का ऑटोइम्यून (स्वप्रतिरक्षित) विकार है जो मानव शरीर के परिधीय (बाह्य घेरे के) नसों को प्रभावित करता है (नसें मस्तिष्क तथा रीढ़ की हड्डी से शरीर के बाकी हिस्सों में दर्द, तापमान, स्पर्श, मांसपेशियों की गतिविधियां आदि के बारे में तंत्रिकीय संकेत भेजती हैं)।
  • यह मुख्य रूप से एक सांसर्गिक (श्वसन या पाचन तंत्र) रोग से ठीक हो जाने के कुछ दिनों बाद विकसित होने वाली बिमारी है।
  • इस बीमारी में व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से परिधीय नसों पर हमला करती है और उनके सुरक्षात्मक आवरण (नसों के कोष) को नुकसान पहुँचाती है।
  • यह तब होता है जब बैक्टीरिया (जीवाणुओं) और वायरस (विषाणुओं) पर पाए जाने वाले रसायन नसों की कोशिकाओं के आवरण (कोष) से मेल खाते हैं। दुर्भाग्यवश, इसे हमारी प्रतिरक्षा कोशिकाएं, पीड़ीत व्यक्तियों में, पहचान नहीं पातीं हैं।
  • यह बिमारी लिंगभेद नहीं करती और किसी को भी प्रभावित कर सकती है या किसी भी उम्र में हो सकती है। फिर भी यह ज्यादातर वयस्कों में पायी जाती है। इस पर किए गए अध्ययन के अनुसार, यह बिमारी विशेष रूप से ५० वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों में पायी गयी है।
  • यह बिमारी अचानक विकसित हो सकती है और कुछ ही घंटों, दिनों या हफ्तों में गंभीर हो सकती है।
  • यह सौम्यता से (हल्की कमजोरी से) लेकर गंभीर रूप तक की हो सकती है, जिसमें हाथ-पैर और श्वसन मांसपेशियों में लकवा जैसी स्थिति उत्पन्न होती है, जिससे पीडित व्यक्ति हिलना-डुलना नहीं हो पाता या आसानी से सांस नहीं ले पाता।
  • संभवत: यह एक जीवन-घातक स्थिति है, पर सौभाग्य से, यदि लक्षणों की पहचान और उपचार समय के रहते किया जाए तो सबसे गंभीर मामलों में भी पूर्ण स्वास्थ्य प्राप्ति संभव है।

 

‘गी-यान-बाह-रे सिंड्रोम’ कैसे विकसित होता है?

जैसी कि हमने इस पर चर्चा की हैयह एक ऑटोइम्यून (स्वप्रतिरक्षितबिमारी है जो आमतौर पर पाचन संस्था या श्वसन संस्था के संक्रमण से ठीक होने के बाद विकसित होती है।

कुछ सामान्य संक्रमण जो जी.बी.एसके ख़तरे को बढ़ाते हैंवे हैं:

  1. पाचन संस्था संक्रमण: यह आमतौर पर अधिकतम रूप से कैंपिलोबैक्टर जेजुनी (अध्यान के अनुसार, जी.बी.एस. वाले हर २० में से १ व्यक्ति को हाल का कैंपिलोबैक्टर जेजुनी संक्रमण का इतिहास रहा है) और अन्य संक्रामक बैक्टीरिया (जीवाणु) जैसे के कैंपिलोबैक्टर कोलाय के कारण होता है। यह संक्रमण इस तरह के लक्षणों से प्रकट होता है: दस्त, पेट में मरोड़ उठना, बुखार, मतली और उल्टी।

  2. वायरल (विषाणुजनित) संक्रमण:

    • फ्लू वायरस
    • एपस्टीन-बार वायरस
    • ज़ीका वायरस
    • साइटोमेगालोवायरस
    • कोविड-१९ वायरस
  3. यह ऐसे किसी भी व्यक्ति में विकसित हो सकता है जिस पर हाल ही में शल्यचिकित्सा प्रक्रिया की गयी हो। 

  4. कभी-कभी, जी.बी.एस. टीकाकरण के बाद विकसित होता है, लेकिन इसका ख़तरा वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के बाद के ख़तरे की तुलना में बहुत कम है।

 

कैंपिलोबैक्टर जेजुनी संक्रमण के जोखिमकारक तत्व क्या हैं?

कैंपिलोबैक्टर जेजुनी संक्रमण के जोखिमकारक तत्व जो व्यक्ति को संक्रमण होने के लिए प्रवृत्त कर सकते हैंवे इस प्रकार हैं:

  • कच्चा या अधपका मांस, मुर्गी, अंडे, शेलफिश (कवचप्राणी) आदि के सेवन से।
  • कच्ची या अच्छी तरह से न धोई गई सब्जियों के सेवन से।

  • किसी भी रूप बाहर के पके हुए चावल (यह बैक्टीरिया के बढ़ने के लिए एक बढ़िया माध्यम प्रदान करता है, खासकर कैंपिलोबैक्टर जेजुनी के लिए)।

  • कच्चा, ठीक से पाश्चरीकृत न किया गया, अच्छी तरह से संग्रहित न किया गया दूध और अन्य डेयरी उत्पाद (जैसे पनीर, चीज़, पैक किया हुआ दही, योगर्ट (दूध को जमाकर बनाया जानेवाला एक खाद्य पदार्थ), मक्खन, मेयोनेज़, आदि) का सेवन करना, क्योंकि यह कैंपिलोबैक्टर के बढ़ने के लिए एक अच्छा माध्यम है।

  • कच्चे मांस, मुर्गी या सब्जियों के लिए एक ही कटिंग बोर्ड या बर्तन को धोए बगैर इस्तेमाल करना।

  • गंदा, फ़िल्टर न किया हुआ या असंसाधित (अनुपचारित) पानी का सेवन करना।

  • प्रसाधनगृह का उपयोग करने के बाद हाथों को अच्छी तरह से स्वच्छ न करना (व्यक्ति से व्यक्ति में फैलना)।

  • जानवरों या उनके मल के संपर्क के बाद स्वच्छता शिष्टाचार का पालन न करना।

 

गी-यान-बाह-रे सिंड्रोम’ के लक्षण क्या हैं? 

यदि इसे जल्दी पहचानकर और सही तरीके से प्रबंधित नहीं किया गया तो गी-यान-बाह-रे सिंड्रोम’ जीवन के लिए घातक हो सकता हैक्योंकि यह एक छोटी सी अवधि में ही गंभीर हो सकता है। इसलिएगी-यान-बाह-रे सिंड्रोम’ के विकास को सूचित करने वाले लक्षणों को पहचानना महत्वपूर्ण हो जाता है।
 
जैसा किहम गी-यान-बाह-रे सिंड्रोम’ के बारे में चर्चा कर चुके हैंनस की कोशिकाओं का आवरण/कोश क्षतिग्रस्त हो जाता हैजिससे मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी से मांसपेशियों तक संकेतों का संचार प्रभावित होता है।

सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:

मांसपेशियों की कमजोरी (Muscle weakness): 
शुरु में मांसपेशियों की कमजोरी पैरों में आरंभ हो जाती हैलेकिन कभी-कभी यह पहले हाथों में भी हो सकती है और फिर धीरे-धीरे सांस (श्वसनकी मांसपेशियों समेत शरीर की अन्य मांसपेशियों में फैल जाती है। यह मांसपेशियों की कमजोरी धीरे-धीरे (जो कुछ घंटों से लेकर दिनों या हफ्तों में हो सकती हैसौम्य से गंभीर रूप धारण करती है।

यह निम्नलिखित रूपों में प्रकट होती है:

  1. सीढ़ियाँ चढ़ने में कठिनाई।
  2. चलने में कठिनाई।
  3. हाथों की पकड़ ढीली पड़ना।
  4. चलने के दौरान अस्थिरता, असंतुलन और तालमेल रखने में समस्याएँ।
  5. आँखों के चारों ओर की मांसपेशियों की कमजोरी के कारण दृष्टि संबंधी समस्याएँ।
  6. चेहरे की मांसपेशियों की कमजोरी के कारण निगलने, बोलने और चबाने में कठिनाई।
  7. श्वसन में कठिनाई, जो गंभीर स्वरूप धारण कर सकती है और खतरनाक हो सकती है (श्वसन/सांस मांसपेशियों के अंतर्भूत होने के कारण)।

 

नसों को क्षति पहुंचना (Damage to the nerves) :

  1. कष्टप्रद संवेदनाएँ जैसे सुन्न हो जाना, झनझनाहट, या कील और सुई जैसी चुभन (जो अंगूठे, पाँव या पैरों से शुरू होकर भुजाओं और हाथों तक फैल जाती है)।
  2. पीठ और/या पैरों की मांसपेशियों में गहरा दर्द होना (जो गंभीर हो सकता है और विशेष रूप से रात के समय अधिक हो सकता है)।
  3. आंत और मूत्राशय पर नियंत्रण न रहना।
  4. जो पहले स्वस्थ थे ऐसे व्यक्तियों में हृदय गति असामान्य होना और रक्तचाप की समस्या निर्माण होना।

 

गी-यान-बाह-रे सिंड्रोम’ (जी.बी.एस.) का निदान कैसे किया जाता है?

यदि कोई व्यक्ति गिलियन-बार्रे सिंड्रोम (जी.बी.एस.) के लक्षण अनुभव करता हैविशेष रूप से हाल ही में हुए पेट या श्वसन संक्रमण के बादतो तुरंत चिकित्सा सहायता लेना आवश्यक हैक्योंकि प्रारंभिक समय में किया गया हस्तक्षेप स्वास्थ्य प्राप्ति में महत्वपूर्ण फर्क ला सकता है।

चरण १: ​​नैदानिक​​ निर्धारण
डॉक्टर इस तरह से मूल्यांकन करते हैं:

  • चिकित्सीय इतिहास – हाल ही में हुए पाचन या श्वसन संबंधी संक्रमण।
  • लक्षणों का विकसन – कमजोरी कब शुरू हुईकैसे फैलीऔर इससे जुड़े हुए तंत्रिका-संबंधी लक्षण।
  • शारीरिक जांच – मांसपेशियों मेंनसों में कार्य करने की क्षमता और अनैच्छिक क्रियाए।

चरण २निदानात्मक परीक्षण
निदान की पुष्टि करने के लिए डॉक्टर निम्नलिखित परीक्षण कर सकते हैं: :

  • नर्व कंडक्शन वेलोसिटी (एन.सी.वी.) टेस्ट (नसों के संवहन की गति का परीक्षण) – मापता है कि नसें कितनी अच्छी तरह से संकेत प्रेषित करती हैं। क्षतिग्रस्त नसें धीमा या कमजोर संकेत दिखाती हैं।
  • लम्बर पंक्चर (स्पाइनल टैपजीबीएस में आमतौर पर देखी जाने वाली असामान्यताओं की जांच के लिए रीढ़ की हड्डी से एक छोटा मस्तिष्कमेरु द्रव (सीएसएफनमूना निकाला जाता है।
  • मस्तिष्क/रीढ़ की हड्डी का एम.आर.आय. – यह अन्य प्रकार की स्वास्थ्य स्थितियों को खारिज करने में सहायक होता है जो इन जी.बी.एसके समान लक्षण पैदा कर सकती हैं।

शीघ्र निदान क्यों महत्वपूर्ण है?

चूंकि जीबीएस तेजी से बढ़ सकता हैइसलिए लक्षणों को प्रबंधित करने और रिकवरी परिणामों को बेहतर बनाने के लिए शुरुआती पहचान और चिकित्सा देखभाल महत्वपूर्ण है। यदि आप या आपका कोई परिचित मांसपेशियों की कमजोरी या असामान्य न्यूरोलॉजिकल लक्षणों का अनुभव कर रहा हैतो तुरंत एक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श करें।

 

क्या गी-यान-बाह-रे सिंड्रोम’ का इलाज संभव हैउपचार के क्या विकल्प हैं? 

  • यदि लक्षणों के विकसित होने के दो सप्ताह के भीतर इलाज शुरू किया जाएतो यह प्रभावी हो सकता है।
  • उपचार का उद्देश्य इस बीमारी के कारण होने वाली प्रतिरक्षा तंत्र-जनित नसों के क्षति को रोकना है।
  • वर्तमान में उपचार करने वाले डाक्टरों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले दो तरिके समान रूप से प्रभावी हैं।  वे हैं:
  1. प्लाज्मा एक्सचेंज (प्लाज्माफेरेसिस) / रक्तरस की अदला-बदली (प्लाज्माहरण):
    • प्लाज़्मा एक्सचेंज मेंशरीर से रक्त निकाला जाता है।

    • प्लाज्मा (रक्त का द्रव घटकको रक्त कोशिकाओं से अलग किया जाता है (प्लाज़्मा में हानिकारक प्रतिरक्षा कोशिकाएँ मौजूद होती हैं)

    • फिरइन रक्त कोशिकाओं को स्वस्थ प्रतिस्थापन द्रव के साथ शरीर में वापस स्थानांतरित किया जाता है।

    • प्लाज्मा एक्सचेंज प्रक्रिया के लिए एक विशेष उपकरण की आवश्यकता होती है।

  2. इंट्रावेनस इम्यूनोग्लोबुलिन थेरेपी (उपचार पद्धति):
    • इम्युनोग्लोबुलिन हमारे प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा संक्रामक जीवों से लड़ने के लिए स्वाभाविक रूप से उत्पादित प्रोटीन हैं।

    • इम्यूनोग्लोबुलिन को अंतःशिरा इम्युनोग्लोबुलिन थेरेपी के लिए हजारों स्वस्थ दाताओं के समूह से विकसित किया जाता है। उन्हें जीबीएस से पीड़ित रोगी में अंतःशिरा रूप से इंजेक्ट किया जाता है।

    • यह स्वयं को नुकसान पहुँचाने वाली प्रतिरक्षा कोशिकाओं की संख्या को कम करता है और तंत्रिका प्रणाली पर प्रतिरक्षा हमलों की गंभीरता को कम करता है।

    • इंटेन्सिव केयर यूनिट (आईसीयूमें मकैनिकल वेंटिलेटरी सपोर्ट (यांत्रिकी श्वसन सहायता)उन मरीजों के लिए जिनकी सांस लेने की क्षमता गंभीर कमजोरी/पक्षाघात के कारण प्रभावित होती है।

    • हृदय गति और रक्तचाप में परिवर्तन से पीड़ित मरीजों को निगरानी उपकरणों का उपयोग करके स्वास्थ्य सेवा में बारीकी से निगरानी रखने की आवश्यकता पड सकती है।

 

पुनर्वसन (Rehabilitation): 

जब जी.बी.एससे पीड़ित लोगों का स्वासथ्य उपचार की वजह से सुधार दिखाने लगता हैतब उन्हें पुनताकत हासिल करने और नियमित गतिविधियों को फिर से शुरू करने में मदद करने के लिए पुनर्वास देखभाल और सहायता प्रदान करना आवश्यक होता है।

  • फिजियोथेरेपी (भौतिक उपचार): मांसपेशियों को लचीला बनाए रखने, उनकी सिकुड़न को रोकने और धीरे-धीरे उनकी ताकत को बढ़ाने के लिए।

  • उपजीविकाजन्य/व्यावसायिक चिकित्साविधान: लोगों को जी.बी.एस्‍. द्वारा प्रभावित व्यक्तियों को दैनिक कार्यों को करने के लिए सहायक उपकरण, अनुकूलक साधन और तकनीकी की मदद से नए तरीके या विधियाँ सीखने में मदद करने के लिए।

  • जी.बी.एस्‍. से ठीक होना धीमा हो सकता है और इसके लिए कुछ हफ्तों से लेकर कुछ सालों तक का समय लग सकता है, जो कि इसके गंभीरता पर निर्भर करता है।

  • हमेशा यह संभावना रहती है कि कुछ मरीज उपचार के बाद भी पूरी तरह से ठीक न हो सकें, उन्हें मांसपेशियों की हल्की कमजोरी, थकान, दर्द और सन्न हो जाना महसूस हो सकता है।

  • अगर समय पर पहचाना और उपचार नहीं किया गया तो जी.बी.एस्‍. जीवन के लिए खतरनाक हो सकता है, जो कि जानलेवा भी हो सकता है।

फिर भी, जी.बी.एस. से पीड़ित अधिकांश मरीज समय पर चिकित्सा प्रबंधन, गहरी देखभाल और श्वसन विफलता जैसी गंभीर जटिलताओं के प्रभावी प्रबंधन से पूरी तरह ठीक हो सकते हैं।

 

जी.बी.एस. (गी-यान-बाह-रे सिंड्रोम’) को कैसे रोका जा सकता है?

  • ‘गी-यान-बाह-रे सिंड्रोम’ एक स्वप्रतिरक्षित (ऑटोइम्यून) बीमारी है जो आमतौर पर कुछ पाचन या श्वसन संस्था संक्रमणों से उबरने के बाद उत्पन्न होती है।
  • इन संक्रमणों की रोकथाम ‘गी-यान-बाह-रे सिंड्रोम’ के ख़तरों को कम करने में मदद कर सकती है।

रोकथाम के उपायों में शामिल हैं:

  1. कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी और अन्य सूक्ष्मजीवों के कारण पाचन तंत्र संक्रमण से बचने के लिए: 
    • गंदगी और दूषितकरण के ख़तरे के कारण बाहर का खाना खाने से बचें।
    • कच्चा या अधपका खाना खाने से बचें, विशेष रूप से अंडे और मांस, शेलफिश (कवचप्राणी)।

    • कच्चा या अपाश्चरीकृत दूध पीने से बचें।

    • भारतीय चिकित्सकों की हाल ही की सिफारिशों के अनुसार, घर के बाहर से बने दूध उत्पाद (जैसे पनीर या चीज़, पैक किया हुआ दही, योगर्ट (दूध को जमाकर बनाया जानेवाला एक खाद्य पदार्थ), मक्खन, मेयोनेज़,) खाने से बचना बेहतर है (वे उच्च नमी अंश के कारण बैक्टीरिया की वृद्धि के लिए अधिक प्रभाव पड़ने योग्य होते हैं)।

    • पके हुए चावल को सामान्य तापमान पर न रखें क्योंकि ऐसे चावल का झुकाव बैक्टीरिया की वृद्धि के लिए अधिक होता है, उन्हें फ्रिज में रखें। किसी भी रूप बाहर के पके हुए चावल खाने से बचना बेहतर है।

    • संदूषित/असंसाधित पानी पीने से बचें (फिल्टर किया हुआ/सुरक्षित पेयजल पिएं)। पीने से पहले पानी को उबालने की आदत डालें।

    • कच्ची सब्जियां खाने से बचें (हमेशा सब्जियों को अच्छी तरह धोएं)।

    • बर्तनों को साफ रखें और उपयोग करने से पहले हमेशा अच्छी तरह धो लें।

    • मांस काटने या टुकड़े करने के लिए उपयोग किए गए बर्तनों को अलग रखें और हर उपयोग के बाद उन्हें अच्छी तरह से साफ कर लें।

    • हाथों की स्वच्छता उचित तरीके से पालन करें (प्रसाधनगृह का उपयोग करने या जानवरों को छूने के बाद, उनके खाने-पीने, पानी, मल, सामान और आवास को छूने के बाद साबुन और पानी से हाथों को अच्छी तरह धोएं)।

       

  2. श्वसनसंस्था संसर्गांपासून बचाव करण्यासाठी:
    • सामाजिक दूरी बनाए रखें।
    • जब भी जरूरी हो, भीड़-भाड़ वाले स्थानों में जाते समय फेस मास्क का उपयोग करें।

    • खांसते या छींकते समय हमेशा अपने मुँह और नाक को रूमाल से ढकें।

    • कोवीड-१९ महामारी के दौरान सुझाए गए उचित हाथों के स्वच्छता-दिशानिर्देशों का पालन करें।

 

References:

https://www.ninds.nih.gov/health-information/disorders/guillain-Barré-syndrome

https://www.cdc.gov/campylobacter/signs-symptoms/guillain-Barré-syndrome.html

https://www.who.int/news-room/fact-sheets/detail/guillain-barré-syndrome

https://www.cdc.gov/campylobacter/about/index.html

https://www.cdc.gov/campylobacter/about/index.html

Guillain Barré Syndrome (GBS): Symptoms causes treatment prevention - Times of India

 

   


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