Wed Aug 13 2025
गिलियन- बाह-रे सिंड्रोम (जिसका उच्चरण ’गी-यान-बाह-रे सिंड्रोम’ किया जाता है) शरीर के नसों का एक असामान्य विकार है। महाराष्ट्र में, खासकर पुणे, पिंपरी चिंचवड़ और आसपास के गांवों में, इस विकार के मामलों में अचानक हुई वृद्धि के कारण एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बन गया है। इस तरह के मामले महाराष्ट्र के कुछ अन्य शहर जैसे नागपुर, सोलापुर, आदि में भी दर्ज हुए हैं।
महाराष्ट्र में ‘गी-यान-बाह-रे सिंड्रोम’ का पहला मामला ९ जनवरी २०२५ को पुणे में दर्ज किया गया था। वर्तमान में, जी.बी.एस. सिंड्रोम के १६६ मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से ६१ मरीजों को आई.सी.यू. में उपचार की आवश्यकता है और २१ मरीजों को वेंटिलेटर सहायता की जरुरत पड़ रही है। दुर्भाग्यवश, अब तक पांच लोगों की मौत हो चुकी है। अब तक ५२ मरीजों को सफलतापूर्वक इलाज कर अस्पताल से रिहा किया जा चुका है।
इस लेख में, हम ‘गी-यान-बाह-रे सिंड्रोम’ के बारे में जानकारी प्रदान कर रहें हैं जिससे इसके प्रति जागरूकता निर्माण की जा सके।
यह लेख निम्नलिखित बातें स्पष्ट करेगा:
जैसी कि हमने इस पर चर्चा की है, यह एक ऑटोइम्यून (स्वप्रतिरक्षित) बिमारी है जो आमतौर पर पाचन संस्था या श्वसन संस्था के संक्रमण से ठीक होने के बाद विकसित होती है।
कुछ सामान्य संक्रमण जो जी.बी.एस. के ख़तरे को बढ़ाते हैं, वे हैं:
पाचन संस्था संक्रमण: यह आमतौर पर अधिकतम रूप से कैंपिलोबैक्टर जेजुनी (अध्यान के अनुसार, जी.बी.एस. वाले हर २० में से १ व्यक्ति को हाल का कैंपिलोबैक्टर जेजुनी संक्रमण का इतिहास रहा है) और अन्य संक्रामक बैक्टीरिया (जीवाणु) जैसे के कैंपिलोबैक्टर कोलाय के कारण होता है। यह संक्रमण इस तरह के लक्षणों से प्रकट होता है: दस्त, पेट में मरोड़ उठना, बुखार, मतली और उल्टी।
वायरल (विषाणुजनित) संक्रमण:
यह ऐसे किसी भी व्यक्ति में विकसित हो सकता है जिस पर हाल ही में शल्यचिकित्सा प्रक्रिया की गयी हो।
कभी-कभी, जी.बी.एस. टीकाकरण के बाद विकसित होता है, लेकिन इसका ख़तरा वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के बाद के ख़तरे की तुलना में बहुत कम है।
कैंपिलोबैक्टर जेजुनी संक्रमण के जोखिमकारक तत्व जो व्यक्ति को संक्रमण होने के लिए प्रवृत्त कर सकते हैं, वे इस प्रकार हैं:
कच्ची या अच्छी तरह से न धोई गई सब्जियों के सेवन से।
किसी भी रूप बाहर के पके हुए चावल (यह बैक्टीरिया के बढ़ने के लिए एक बढ़िया माध्यम प्रदान करता है, खासकर कैंपिलोबैक्टर जेजुनी के लिए)।
कच्चा, ठीक से पाश्चरीकृत न किया गया, अच्छी तरह से संग्रहित न किया गया दूध और अन्य डेयरी उत्पाद (जैसे पनीर, चीज़, पैक किया हुआ दही, योगर्ट (दूध को जमाकर बनाया जानेवाला एक खाद्य पदार्थ), मक्खन, मेयोनेज़, आदि) का सेवन करना, क्योंकि यह कैंपिलोबैक्टर के बढ़ने के लिए एक अच्छा माध्यम है।
कच्चे मांस, मुर्गी या सब्जियों के लिए एक ही कटिंग बोर्ड या बर्तन को धोए बगैर इस्तेमाल करना।
गंदा, फ़िल्टर न किया हुआ या असंसाधित (अनुपचारित) पानी का सेवन करना।
प्रसाधनगृह का उपयोग करने के बाद हाथों को अच्छी तरह से स्वच्छ न करना (व्यक्ति से व्यक्ति में फैलना)।
जानवरों या उनके मल के संपर्क के बाद स्वच्छता शिष्टाचार का पालन न करना।
यदि इसे जल्दी पहचानकर और सही तरीके से प्रबंधित नहीं किया गया तो गी-यान-बाह-रे सिंड्रोम’ जीवन के लिए घातक हो सकता है, क्योंकि यह एक छोटी सी अवधि में ही गंभीर हो सकता है। इसलिए, गी-यान-बाह-रे सिंड्रोम’ के विकास को सूचित करने वाले लक्षणों को पहचानना महत्वपूर्ण हो जाता है।
जैसा कि, हम गी-यान-बाह-रे सिंड्रोम’ के बारे में चर्चा कर चुके हैं, नस की कोशिकाओं का आवरण/कोश क्षतिग्रस्त हो जाता है, जिससे मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी से मांसपेशियों तक संकेतों का संचार प्रभावित होता है।
सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:
मांसपेशियों की कमजोरी (Muscle weakness):
शुरु में मांसपेशियों की कमजोरी पैरों में आरंभ हो जाती है, लेकिन कभी-कभी यह पहले हाथों में भी हो सकती है और फिर धीरे-धीरे सांस (श्वसन) की मांसपेशियों समेत शरीर की अन्य मांसपेशियों में फैल जाती है। यह मांसपेशियों की कमजोरी धीरे-धीरे (जो कुछ घंटों से लेकर दिनों या हफ्तों में हो सकती है) सौम्य से गंभीर रूप धारण करती है।
यह निम्नलिखित रूपों में प्रकट होती है:
नसों को क्षति पहुंचना (Damage to the nerves) :
यदि कोई व्यक्ति गिलियन-बार्रे सिंड्रोम (जी.बी.एस.) के लक्षण अनुभव करता है, विशेष रूप से हाल ही में हुए पेट या श्वसन संक्रमण के बाद, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लेना आवश्यक है, क्योंकि प्रारंभिक समय में किया गया हस्तक्षेप स्वास्थ्य प्राप्ति में महत्वपूर्ण फर्क ला सकता है।
चरण १: नैदानिक निर्धारण
डॉक्टर इस तरह से मूल्यांकन करते हैं:
चरण २: निदानात्मक परीक्षण
निदान की पुष्टि करने के लिए डॉक्टर निम्नलिखित परीक्षण कर सकते हैं: :
चूंकि जीबीएस तेजी से बढ़ सकता है, इसलिए लक्षणों को प्रबंधित करने और रिकवरी परिणामों को बेहतर बनाने के लिए शुरुआती पहचान और चिकित्सा देखभाल महत्वपूर्ण है। यदि आप या आपका कोई परिचित मांसपेशियों की कमजोरी या असामान्य न्यूरोलॉजिकल लक्षणों का अनुभव कर रहा है, तो तुरंत एक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श करें।
प्लाज़्मा एक्सचेंज में, शरीर से रक्त निकाला जाता है।
प्लाज्मा (रक्त का द्रव घटक) को रक्त कोशिकाओं से अलग किया जाता है (प्लाज़्मा में हानिकारक प्रतिरक्षा कोशिकाएँ मौजूद होती हैं)।
फिर, इन रक्त कोशिकाओं को स्वस्थ प्रतिस्थापन द्रव के साथ शरीर में वापस स्थानांतरित किया जाता है।
प्लाज्मा एक्सचेंज प्रक्रिया के लिए एक विशेष उपकरण की आवश्यकता होती है।
इम्युनोग्लोबुलिन हमारे प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा संक्रामक जीवों से लड़ने के लिए स्वाभाविक रूप से उत्पादित प्रोटीन हैं।
इम्यूनोग्लोबुलिन को अंतःशिरा इम्युनोग्लोबुलिन थेरेपी के लिए हजारों स्वस्थ दाताओं के समूह से विकसित किया जाता है। उन्हें जीबीएस से पीड़ित रोगी में अंतःशिरा रूप से इंजेक्ट किया जाता है।
यह स्वयं को नुकसान पहुँचाने वाली प्रतिरक्षा कोशिकाओं की संख्या को कम करता है और तंत्रिका प्रणाली पर प्रतिरक्षा हमलों की गंभीरता को कम करता है।
इंटेन्सिव केयर यूनिट (आईसीयू) में मकैनिकल वेंटिलेटरी सपोर्ट (यांत्रिकी श्वसन सहायता): उन मरीजों के लिए जिनकी सांस लेने की क्षमता गंभीर कमजोरी/पक्षाघात के कारण प्रभावित होती है।
हृदय गति और रक्तचाप में परिवर्तन से पीड़ित मरीजों को निगरानी उपकरणों का उपयोग करके स्वास्थ्य सेवा में बारीकी से निगरानी रखने की आवश्यकता पड सकती है।
जब जी.बी.एस. से पीड़ित लोगों का स्वासथ्य उपचार की वजह से सुधार दिखाने लगता है, तब उन्हें पुन: ताकत हासिल करने और नियमित गतिविधियों को फिर से शुरू करने में मदद करने के लिए पुनर्वास देखभाल और सहायता प्रदान करना आवश्यक होता है।
फिजियोथेरेपी (भौतिक उपचार): मांसपेशियों को लचीला बनाए रखने, उनकी सिकुड़न को रोकने और धीरे-धीरे उनकी ताकत को बढ़ाने के लिए।
उपजीविकाजन्य/व्यावसायिक चिकित्साविधान: लोगों को जी.बी.एस्. द्वारा प्रभावित व्यक्तियों को दैनिक कार्यों को करने के लिए सहायक उपकरण, अनुकूलक साधन और तकनीकी की मदद से नए तरीके या विधियाँ सीखने में मदद करने के लिए।
जी.बी.एस्. से ठीक होना धीमा हो सकता है और इसके लिए कुछ हफ्तों से लेकर कुछ सालों तक का समय लग सकता है, जो कि इसके गंभीरता पर निर्भर करता है।
हमेशा यह संभावना रहती है कि कुछ मरीज उपचार के बाद भी पूरी तरह से ठीक न हो सकें, उन्हें मांसपेशियों की हल्की कमजोरी, थकान, दर्द और सन्न हो जाना महसूस हो सकता है।
अगर समय पर पहचाना और उपचार नहीं किया गया तो जी.बी.एस्. जीवन के लिए खतरनाक हो सकता है, जो कि जानलेवा भी हो सकता है।
फिर भी, जी.बी.एस. से पीड़ित अधिकांश मरीज समय पर चिकित्सा प्रबंधन, गहरी देखभाल और श्वसन विफलता जैसी गंभीर जटिलताओं के प्रभावी प्रबंधन से पूरी तरह ठीक हो सकते हैं।
इन संक्रमणों की रोकथाम ‘गी-यान-बाह-रे सिंड्रोम’ के ख़तरों को कम करने में मदद कर सकती है।
कच्चा या अधपका खाना खाने से बचें, विशेष रूप से अंडे और मांस, शेलफिश (कवचप्राणी)।
कच्चा या अपाश्चरीकृत दूध पीने से बचें।
भारतीय चिकित्सकों की हाल ही की सिफारिशों के अनुसार, घर के बाहर से बने दूध उत्पाद (जैसे पनीर या चीज़, पैक किया हुआ दही, योगर्ट (दूध को जमाकर बनाया जानेवाला एक खाद्य पदार्थ), मक्खन, मेयोनेज़,) खाने से बचना बेहतर है (वे उच्च नमी अंश के कारण बैक्टीरिया की वृद्धि के लिए अधिक प्रभाव पड़ने योग्य होते हैं)।
पके हुए चावल को सामान्य तापमान पर न रखें क्योंकि ऐसे चावल का झुकाव बैक्टीरिया की वृद्धि के लिए अधिक होता है, उन्हें फ्रिज में रखें। किसी भी रूप बाहर के पके हुए चावल खाने से बचना बेहतर है।
संदूषित/असंसाधित पानी पीने से बचें (फिल्टर किया हुआ/सुरक्षित पेयजल पिएं)। पीने से पहले पानी को उबालने की आदत डालें।
कच्ची सब्जियां खाने से बचें (हमेशा सब्जियों को अच्छी तरह धोएं)।
बर्तनों को साफ रखें और उपयोग करने से पहले हमेशा अच्छी तरह धो लें।
मांस काटने या टुकड़े करने के लिए उपयोग किए गए बर्तनों को अलग रखें और हर उपयोग के बाद उन्हें अच्छी तरह से साफ कर लें।
हाथों की स्वच्छता उचित तरीके से पालन करें (प्रसाधनगृह का उपयोग करने या जानवरों को छूने के बाद, उनके खाने-पीने, पानी, मल, सामान और आवास को छूने के बाद साबुन और पानी से हाथों को अच्छी तरह धोएं)।
जब भी जरूरी हो, भीड़-भाड़ वाले स्थानों में जाते समय फेस मास्क का उपयोग करें।
खांसते या छींकते समय हमेशा अपने मुँह और नाक को रूमाल से ढकें।
कोवीड-१९ महामारी के दौरान सुझाए गए उचित हाथों के स्वच्छता-दिशानिर्देशों का पालन करें।
https://www.ninds.nih.gov/health-information/disorders/guillain-Barré-syndrome
https://www.cdc.gov/campylobacter/signs-symptoms/guillain-Barré-syndrome.html
https://www.who.int/news-room/fact-sheets/detail/guillain-barré-syndrome
https://www.cdc.gov/campylobacter/about/index.html
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Guillain Barré Syndrome (GBS): Symptoms causes treatment prevention - Times of India